दशरथ जी कहते है मैं वचन तोड़कर नर्क चला जाऊंगा परंतु वे वचन क्यों नही तोड़ते।
काया कुटिया निराली, ज़माने भर से by Pujya Rajeshwaranand Ji-कृपया पूरा सुनें
खुली छतों के चिराग कब के बुझ गये होते कोई तो है जो हवाओ के हाथ बांधे है। Swami Sri Rajeshwaranand ji
मानस सत्संग यात्रा परम पूज्य श्री राजेश्वरानन्द जी महाराज के साथ
Pravachan - Shri Rajeshwarnand Ji Maharaj - Day 7 (Prempuri Ashram, Mumbai)
हनुमंत कथा - प्रथम दिवस - पूज्य श्री राजेश्वरानन्द जी महाराज
गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या, कैसे इंद्र के मोह जाल में फस कर पत्थर बनती है, || Sri Vijay kaushal ji
प्रभु हमने आपके भोग का ठेका लिया है आपके पूरे परिवार का नहीं भगवान् हंसने लगे|| RAJESHWRANAND JI